
रतन नवल टाटा, जिनका जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में हुआ, भारतीय उद्योग के एक प्रतिष्ठित नाम थे। उन्होंने 1990 से 2012 तक टाटा ग्रुप के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया और 2016 से 2017 तक अंतरिम अध्यक्ष भी रहे। 9 अक्टूबर 2024 को 86 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। उनका जीवन और कार्य भारतीय उद्योग के लिए एक प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे।
Education and career beginning
Ratan Tata ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई में प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने कॉर्नेल विश्वविद्यालय से आर्किटेक्चर में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। 1961 में, उन्होंने टाटा समूह में काम करना

शुरू किया, जहां उन्होंने Tata Steel के उत्पादन क्षेत्र में काम किया। उनकी कड़ी मेहनत और लगन ने उन्हें 1991 में जे.आर.डी. टाटा के बाद टाटा सन्स का अध्यक्ष बनने की स्थिति में पहुंचा दिया।
Globalization of Tata Group
Ratan Tata के नेतृत्व में, टाटा समूह ने कई महत्वपूर्ण अधिग्रहण किए, जैसे टेटली, जगुआर लैंड रोवर और कोरस। इन कदमों के माध्यम से, उन्होंने टाटा को एक भारतीय समूह से वैश्विक व्यवसाय में बदलने की दिशा में अग्रसर किया। उनकी दृष्टि और रणनीति ने टाटा समूह को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।
Philanthropy and investment
Ratan Tata केवल एक उद्योगपति नहीं, बल्कि एक महान परोपकारी भी थे। उन्होंने अपने आय का लगभग 60-65% दान में दिया। उनकी परोपकारी पहलों में शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण शामिल थे। इसके साथ ही, वे एक सक्रिय निवेशक थे, जिन्होंने 30 से अधिक स्टार्टअप्स में निवेश किया।
Awards and Honors
Ratan Tata को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। 2000 में उन्हें पद्म भूषण, 2008 में पद्म विभूषण, और 2014 में ब्रिटिश साम्राज्य के मानद नाइट ग्रैंड क्रॉस से नवाजा गया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने 2021 में असम बाईभव और 2023 में ऑस्ट्रेलिया का आदेश भी प्राप्त किया।
Ratan Tata
Ratan Tata का जीवन और कार्य भारतीय उद्योग और समाज में एक अमिट छाप छोड़ गया है। उनकी उदारता, दूरदर्शिता, और नेतृत्व ने उन्हें न केवल एक सफल उद्योगपति बनाया, बल्कि एक आदर्श नागरिक भी। उनका निधन एक युग के अंत का प्रतीक है, लेकिन उनकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी।
Ratan Tata का नाम हमेशा भारतीय उद्योग के महानायकों में लिया जाएगा, और उनके योगदानों को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।