
करवा चौथ का पर्व, जो पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य की कामना के लिए रखा जाता है, इस वर्ष रविवार, 20 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन सौभाग्यवती महिलाएं करवा चौथ व्रत रखकर भगवान गणेश और माता गौरी की पूजा करती हैं। चंद्रमा के उदय के बाद अर्घ्य देकर व्रत समाप्त करती हैं। यह विशेष पर्व हिंदू धर्म में बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
करवा चौथ व्रत 2024 का समय
- करवा चौथ 2024* के दिन चतुर्थी तिथि 20 अक्टूबर को सुबह 10:47 बजे शुरू होगी और अगले दिन 21 अक्टूबर को सुबह 9:00 बजे समाप्त होगी। इस दिन चंद्रोदय शाम को 7:40 बजे होगा, जिसके बाद महिलाएं छलनी से चंद्रमा को देखकर व्रत खोलेंगी।

करवा चौथ पूजा विधि और महत्व
करवा चौथ पर महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और पूरे दिन बिना अन्न-जल ग्रहण किए भगवान गणेश, माता गौरी और चंद्रमा की पूजा करती हैं। चंद्रोदय के समय छलनी से चंद्रमा के दर्शन करती हैं और अपने पति के हाथ से जल ग्रहण करके व्रत का समापन करती हैं। करवा चौथ व्रत का महत्व विशेष रूप से विवाहित महिलाओं के लिए है, जो अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना के लिए यह व्रत रखती हैं।
करवा चौथ की पौराणिक कथा
महाभारत काल में द्रौपदी ने अपने पति अर्जुन की सुरक्षा और सफलता के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था। जब अर्जुन इंद्रकिला पर्वत पर तपस्या करने गए थे, तो द्रौपदी ने भगवान श्रीकृष्ण से मार्गदर्शन मांगा। भगवान कृष्ण ने उन्हें कार्तिक कृष्ण चतुर्थी के दिन निर्जला व्रत रखने और भगवान गणेश की पूजा करने की सलाह दी। इस व्रत से अर्जुन को सफलता मिली, और तब से विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-शांति के लिए करवा चौथ व्रत रखती हैं।
करवा चौथ व्रत से जुड़ी परंपराएं
करवा चौथ पर महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और दिनभर व्रत रखती हैं। शाम को कथा सुनने के बाद पूजा करती हैं और चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं। वीरावती की कथा इस पर्व से विशेष रूप से जुड़ी है, जिससे छलनी से चंद्रमा देखने की परंपरा की शुरुआत मानी जाती है।