Hindi Story
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Hindi Story; रेखा देवी अस्पताल से लौटीं तो देखा कि उनकी बेटी स्वाति रसोई में खड़ी कुछ बना रही थी। यह देखकर रेखा चौंक गईं, क्योंकि स्वाति तो हमेशा कहती थी—“मैं कोई नौकरानी नहीं हूं जो किचन में घुसी रहूं।”

“स्वाति, क्या बना रही हो बेटी?” रेखा ने पास जाकर पूछा।

स्वाति ने मुस्कराकर कहा, “मम्मी, आप बैठिए, मैं आपके लिए दाल-चावल बना रही हूं। आपने कुछ खाया नहीं होगा अस्पताल में, न?”

रेखा की आंखें भर आईं। जिस लड़की को कभी अपने कपड़े तक धोने में शर्म आती थी, आज मां के लिए खाना बना रही थी।

कुछ ही देर में जब दोनों खाना खाने बैठीं, तो रेखा ने धीरे से पूछा, “बिटिया, सब कैसे बदल गया तेरे अंदर?”

स्वाति ने लंबी सांस ली और बोली, “मम्मी, जब पापा का ऑपरेशन होते देखा, ICU के बाहर आपकी बेचैनी देखी, और रिश्तेदारों को मुंह फेरते देखा… कुछ टूट गया अंदर। लगा अब सिर्फ आप और मैं ही एक-दूसरे के लिए हैं।”

रेखा ने उसका हाथ थाम लिया, “तेरे पापा की हालत देख कर लगता है जैसे ऊपरवाले ने हमारी परीक्षा लेनी शुरू कर दी है। अब न पेंशन है, न सेविंग। अस्पताल का बिल भी बढ़ता जा रहा है।”

स्वाति बोली, “मम्मी, मैंने एक जगह नौकरी के लिए इंटरव्यू दिया है। छोटे बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाऊंगी। मैंने अपने सारे शौक छोड़ दिए हैं। अब जिम्मेदारी का वक्त है।”

रेखा कुछ पल चुप रहीं। उन्हें याद आया जब स्वाति दिन-रात सोशल मीडिया पर लगी रहती थी, ब्रांडेड कपड़े और महंगे गैजेट्स की फरमाइश करती थी।

अब वही लड़की जिम्मेदारी निभा रही थी।

लेकिन किस्मत का लिखा कौन टाल सकता है?

एक सुबह डॉक्टर ने बताया—“स्वाति के पापा अब हमारे बीच नहीं रहे।”

सब कुछ थम सा गया। कुछ दिनों के लिए रिश्तेदार फिर से दिखे, सांत्वना देने आए, कुछ आंखों में पानी भी था। लेकिन रेखा जानती थीं—ये सब तेरह दिन की बात है।

तेरह दिन बाद घर फिर खाली हो गया। पर इस बार मां और बेटी अकेली नहीं थीं, अब उनके पास हौसला था।

रेखा ने शहर छोड़ने का फैसला किया। गांव में उनका पुश्तैनी घर और थोड़ी-सी जमीन थी। वहीं जाकर उन्होंने नया जीवन शुरू किया। खेती करने लगीं, और स्वाति गांव के बच्चों को पढ़ाने लगी।

धीरे-धीरे पैसों की तंगी दूर होने लगी। खेत में मेहनत रंग लाई और स्वाति को भी सुकून मिला।

रेखा अब चैन की नींद सो पाती थीं। उन्हें यकीन था कि उनकी बेटी अब कमजोर नहीं पड़ेगी।

एक मां की आंखों में बस यही संतोष था—”हम टूटे जरूर थे, लेकिन बिखरे नहीं।”

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By Akash Yadav

Akash Yadav is a seasoned blogger with over 4 years of experience in the world of digital content. With a deep passion for technology, automobiles, entertainment, and finance, Akash brings insightful and well-researched articles to readers. Through DailyNews48.in, he aims to provide the latest trends, news, and updates from these dynamic industries, keeping his audience informed and engaged. His expertise and commitment to delivering high-quality content make him a trusted voice in the blogging community.

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